शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

किशोरी लाल जैन बादल

"बादल" की कलम से सामाजिक गीत
             
        'मचा हुआ कोहराम'
       ~~~~~~~~~~~
देख नजारा इस दुनिया का मचा हुआ कोहराम
हमें अब जाना है उस धाम
मिले चैन जहां मिले शांति है जो पावन धाम 
हमें अब जाना है उस धाम 

बरसों बरस गुजारे हमने दूषित वातावरण जगत में
मतभेदों से भरे पड़े हैं भाई चारे नाम जगत में 
परिवारों में हे बंटवारे मानवता नहीं दिखे वतन में
दीन हीन दुखियारे रोते करुणामय अविराम
   हमें अब जाना है उस धाम...

भ्रष्टाचारी अत्याचारी गली गली में है विभचारी
मनमानी कर सीना ताने ऊपर से बेमानी ठाने 
मर्यादाऐ तार-तार हैं लोकतंत्र भी शर्मसार है 
 दहशत फैलाएं आतंकी कर रहे कत्लेआम
   हमें अब जाना है उस धाम...

सत कर्मों को भूल रहा है पाप कर्म में दौड़ रहा है
धन के लिए कुछ भी कर जाएं लूट डकैती कतल कराएं
खौफ नहीं है उस ईश्वर का बेचे मंदिर परमेश्वर का
संविधान को रखा ताक में नेताओं के काम 
   हमें अब जाना है उस धाम...

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