सोमवार, 29 जून 2020

माँ सरस्वती वंदना

हरिगीतिका छंद में माँ सरस्वती वंदना

माँ शारदे देवी सुनो ये, वंदना जो गा रहे । 
माँ आपकी ही है कृपा तो, ज्ञान को हैं पा रहे । 

 रागों सजी वीणा बजे तो, साधना हो आपकी ।
 ये तूलिका जो भी लिखे तो, कामना हो आपकी ।

माँ श्वेत वस्त्रों से सजी हो, शांति भी लाती रहो । 
जो आपको ही भा रहे हों, गीत वो गाती रहो ।
 
पद्मासना बैठो सदा ही, साज वीणा हाथ है । 
विद्या हमें देतीं रहो माँ, पुस्तकों का साथ है ।
 
जो जीभ पे आ बैठतीं तो, बोल मीठे ही बहें । 
जो बुद्धि पे डाका पड़े तो, तीर सी बातें कहें ।

है सोम सा जो रूप सादा, आपका श्रृंगार है । 
माँ आपके आशीष से ही, प्रेम का संसार है ।


हैं दोष जो वो दूर भागें, जो गुणों की खान दो ।
माँ आपसे ये प्रार्थना है, बुद्धि विद्या ज्ञान दो ।

वाणी हमारी शुद्ध होवे, कंठ में आ बैठना । 
ये लेखनी जब भी लिखे तो, वर्ण स्वर को देखना । 

इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना
शिवपुरी मध्य प्रदेश 

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