माँ शारदे देवी सुनो ये, वंदना जो गा रहे ।
माँ आपकी ही है कृपा तो, ज्ञान को हैं पा रहे ।
रागों सजी वीणा बजे तो, साधना हो आपकी ।
ये तूलिका जो भी लिखे तो, कामना हो आपकी ।
माँ श्वेत वस्त्रों से सजी हो, शांति भी लाती रहो ।
जो आपको ही भा रहे हों, गीत वो गाती रहो ।
पद्मासना बैठो सदा ही, साज वीणा हाथ है ।
विद्या हमें देतीं रहो माँ, पुस्तकों का साथ है ।
जो जीभ पे आ बैठतीं तो, बोल मीठे ही बहें ।
जो बुद्धि पे डाका पड़े तो, तीर सी बातें कहें ।
है सोम सा जो रूप सादा, आपका श्रृंगार है ।
माँ आपके आशीष से ही, प्रेम का संसार है ।
हैं दोष जो वो दूर भागें, जो गुणों की खान दो ।
माँ आपसे ये प्रार्थना है, बुद्धि विद्या ज्ञान दो ।
वाणी हमारी शुद्ध होवे, कंठ में आ बैठना ।
ये लेखनी जब भी लिखे तो, वर्ण स्वर को देखना ।
इंजी.अवधेश कुमार सक्सेना
शिवपुरी मध्य प्रदेश
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