🙏नमन मंच🙏
विषय-धरती
विधा-मुक्तक
दिनांक-09/07/2020
🙏🌳🌳धरती माँ 🌳🌳🙏
सर्वप्रथम पूजनीय है हमारी मां धरती
अन्नपूर्णा ये सब का भरण पोषण करती
सारे वेद शास्त्र ग्रंथों का दिया है ज्ञान
महासागर और नदियों का मिलन भी करती।
उगलती है ये बंजर मिट्टी से भी सोना
इसके अस्तित्व को बचाना कभी न खोना
है यहां पर जीवन की संभावनाएं अपार
रखना सदैव इसे हरा-भरा व्यर्थ न समझना।
करते हैं इसका दोहन पर सब कुछ सहती
मां होने का पूरा फर्ज यह निभाती
प्रदान करती है सभी खनिज संपदाएं
पर इंसान की तरह कभी हक न जताती।
जन्म के समय देती है आसरा भी
और मृत्यु के बाद देती है शरण भी
कर्जदार हैं हम मां धरती के बारंबार
निभाना है फर्ज संतान होने का तुम्हे भी।
करते हैं नमन हम अपनी माँ धरती को
रखेंगे स्वच्छ, राग द्वेष रहित अपनी मां को
लेते हैं हम संकल्प सभी जन मिलकर अब
वृक्षारोपण करके हरियाली प्रदान करेंगे इसको।
घोषणा-मैं ज्योत्सना रतूड़ी घोषणा करती हूँ कि यह रचना मेरी स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना है।
ज्योत्सना रतूड़ी (ज्योति )
उत्तरकाशी (उत्तराखण्ड)
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