शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

पुष्पा शर्मा

*आल्हा छंद*
 द्वितीय प्रयास........... 
महाभारत-द्रोपदी चीरहरण प्रसंग
🌹🌹🌹🌹

श्री गुरुवर की करो वंदना,
मां शारद को शीश झुकाय।
बाधा विघ्न हरो सब मेरे,
श्रीगणपति को ध्यान लगाय ।
🌺🌺🌺🌺

 महाभारत की भव्य कथा, 
कहती तुमसे अपना जान।
आन-बान और शान भरी 
गुण-दोषों की अद्भुत खान।।
🌺🌺🌺🌺

 जाल बिछाकर द्युत क्रीड़ा को 
पंडाब हस्तिनापुर लिए बुलाय 
राजभबन में भीष्म द्रोण के सन्मुख चौसर लई जमाय l

 पांडव  कौरव खेलन बैठे 
मन की बात कहीं न जाय l
पांडव मन के सीधे साँचे, 
दुर्योधन को समझ न पाए l


कपटी शकुनी पांसे फैंके, 
पांडव चाल उल्टी पड़ जाए l
युधिष्ठिर राजपाट सब हारे ,
तब चारयों भईया दये गँवाय ।।
🌺🌺🌺🌺


लज्जा छोड़ी  धर्मराज ने 
पांचाली को दिया गंवाय। 
द्रुपद सुता को भरी सभा में,
तब दुर्योधन लिया बुलवाय।।
🌺🌺🌺🌺


दुष्ट दुशासन की करनी लख,
द्रोण,भीष्म सब नैन झुकाए।
विकर्ण महारथी ने जब उठ कर,
भरी सभा खों  दयो थर्राय।।
🌺🌺🌺🌺


हार जीत के खेल-खेल में,
कुल मर्यादा क्यों विसराय।
करके नारी को अपमानित,
तुमको लाज तनक ना आए।।
🌺🌺🌺🌺


फिर द्रोपदी ने अंतर्मन से,
जब गोविंद को लियो बुलाए।
दौड़े-दौड़े गिरधर,आए 
रक्षा कीन्ही चीर बढ़ाएं।।
🌺🌺🌺🌺


जय हो स्वामी नारायण की ,
सबकी बिगड़ी देय बनाएं।
रचना छंद मोहे नहीं आवत,
भूल चूक सब लिओ दबाय।।
🌹🌹🌹🌹
मौलिक और अप्रकाशित 

दिनांक- 9 जुलाई,2020
पुष्पा शर्मा
ग्वालियर,मध्य प्रदेश

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