शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

पण्डित सुदामा शर्मा

काव्य श्रृंखला तस्वीर
के कुछ अंश...... ‌

हर सुबह बिल्कुल नई
मगर क्रम वही पुराना
वही सुनना वही सुनना
वही रोना वही गाना
वही तृष्णा वही लालच
वही ठगना और ठगाना
वही मन के विकारों का
छुपना और छुपाना
संतोष की समाधि
निद्रा ज्ञान की....
यूं चल रही है क्यों
लड़ाई आत्म सम्मान की
सत्यता की बातें प्रबल
प्रबल ईश का शोध
मगर मिट न पाया अभी तक
कर्तापन का बोध...
वही पुराने रास्ते और
वही जीर्ण अवरोध
चल रहा क्यों आजतक
मानसिक प्रतिशोध...
ज्ञान का सागर हृदय में
मगर त्रषित हैं
मिटायें वेदना कैसे किसी की
जब खुद व्यथित हैं...
प्रत्येक चर्चा में अपनी
महानता का प्रर्दशन
अनुराग में डूबकर
वैराग्य का दर्शन....
कथनी और करनी में
अद्भुत विरोधाभास
निराधार तथ्यों पर
ईश्वर की प्राप्ती का प्रयास
प्रेम की परिभाषा का
स्वतंत्र निरुपण
व्याख्या पराये दोषों की
करते साहित्य भूषण
विद्वानों की श्रेणी में
अत्यंत उच्च पद
एक हाथ में लोभ
एक हाथ में मद ....
नेत्रों में झलकती ज्योति
क्रोध और काम की
दुनियां में किसको 
जरूरत है ज्ञान की...
कल्पना नहीं यह तस्वीर है
आज के इंसान की
हकीकत है इंसान के
मानसिक उत्थान की... शेष..
पंडित सुदामा शर्मा गुना मध्य प्रदेश ९९९३०८९८२०

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