आओ एक दीप जलाएं
आओ एक दीप जलाएं,
आओ एक दीप जलाएं।
तम हर नव प्रभा फैलाये,
घर घर में खुशहाली छाये।।
आशाओं के बीज लगायें,
आओ एक दीप जलाएं।।
क्यों भूल गए हम संस्कृति,
कुपित हो गयी आज प्रकृति,
काँप रही है सृष्टि सारी,
आ गई एक नई बीमारी।।
सब जन की बाधा हर जाएं,
आओ सब मिल रोग भगाएं।
आओ एक दीप जलाएं।
आओ एक दीप जलाएं।।
जैसे फ़िजा में ज़हर घुला हो,
किसी ख़ता का श्राप मिला हो ।
कोई धर्म या कोई जात हो,
वसुधा पे कभी न रक्तपात हो।।
छोड़ कर सभी राग द्वेष को,
आओ अपना देश बचाएं।
आओ एक दीप जलाएं।
आओ एक दीप जलाएं।।
नव सृजन की वेला आई,
छोड़ देवे सब निठुराई।
राजनीती से परे हटकर,
राष्ट्रहित में रहे डटकर।।
मानवता के दीप्ती पुंज से,
आओ घर को स्वर्ग बनाएं।।
आओ एक दीप जलाएं।
आओ एक दीप जलाएं।
कमलेश शर्मा "कवि कमल"
मु.पो.:-अरनोद ,जिला:- प्रतापगढ़ (राज.)
मो.9691921612
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