मंगलवार, 7 जुलाई 2020

पुष्पा मिश्रा आनंद

भाषा का महत्व
मातृभूमि की भाषा में ही,
अपनी मां को मां कहते हैं
अपनेपन की भाषा में ही
हर पल जीवन को जीते हैं।।

चाहे चले कहीं भी जाएं,
चाहे किसी को अपना लें।
मातृभाषा का अपनापन,
देती प्रेम सभी के उर‌ में ।।

हिंदी उर्दू दोनों ही बहने,
दोनों में प्यार मोहब्बत है।
शब्दों के हैं भंडार भरे,
शब्दकोश में कमी नहीं है ।।

साहित्य जगत के फैले नभ में,
हिंदी है सूरज , चांद समान ।
क्षितिज में बिखरे स्वर्णिम तारे,
है सभी भाषा के समान‌ ।

तारे संग नहीं अब उसके,
फिर भी आस नहीं छोड़ी ।
वह दिन दूर नहीं होगा अब,
सिंहासन पर बैठेगी हिंदी ।।

अंबर में छिपे बादलों जैसी,
छुप छुप कर अभी झांक रही।
भाषा के फैले अंधियारों में ,
रुक रुक कर रास्ता मांग रही ।।

पुष्पा मिश्रा आनंद
7/7/2020

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