सुनो....💕
कविता क्या है 💞
कविता हृदय की अभिव्यंजना है,
अंतर्मन का उद्गार है
कभी कल्पना है,
कभी वास्तविकता है,
जीवन का स्वरूप है,
मन की खूबसूरती है,
सुर है, संगीत है
शब्दों की लड़ी है
अठखेलियाँ हैं,
चाहत है
कविता तुम हो
मैं हूँ, प्रकृति है,
महकती, खिलखिलाती
धूप है, चाँदनी है
खूबसूरत वादी है
लहराते वृक्ष हैं,
प्रेम है, स्नेह है
आत्मीयता है,
अपनत्व है।
क्या कभी...
तुमसे
कविता ने बात की है....
कहा है मुझे पढ़ो...
मेरे अनछुए, अनलिखे पहलुओं पर गुनगुनाओ....
कहा है मुझे लिखो....
क्या कभी पलकों के दरवाजे पर
दस्तक दी है...
कहा है कि मुझे ओढ़ो
मुझे अपनी बोली में सुनाओ....
मुझमें सिमट जाओ, मुझमें समाओ,
क्या कभी हुआ है
कि कमरे के भीतर आने पर
भी रह गया है धूप का
एक टुकड़ा चेहरे पर....
सड़क पर चलते - चलते
एहसास सी ,फूलों की खूशबू लिए
छू गयी है ओस की एक बूँद.....
और एक याद को
कभी याद किया है आपने
दिल में बसे चेहरे की तरह
वो चेहरा , जो सबसे प्यारा है
दिल के करीब, मन में बसा
कितनी बार बादलों में
एक पहचाना सा
चेहरा नज़र आया है....
कितनी बार अकेले छत पर
लेटे चाँद मुस्कुराया है....
सोचिये , कहिए
आपसे कभी
कविता ने बात की है?
मुझसे तो की है..
हाँ! हाँ!
मुझसे तो की है...
मैं तुम्हें सोचती हूँ हरपल
और अब तुम मुझे सोचो...
और मैं लिखूँ कविता
तुम लिखो....
और मैं जियूँ कविता
तुम जियो....
और मैं बनूँ कविता
इस तरह
एक दूसरे के🌹
होने की वजह हो जाएँ।
रुचिका सक्सेना✏️🤗
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