गुरुवार, 16 जुलाई 2020

मुक्तक

1222 1222 1222 1222 

मुक्तक 
उसी की अब तमन्ना  है  कभी जिसने रुलाया है,
उसी के नाम पर हमने नया इक घर बनाया है ।
मिली है हर खुशी हमको मगर उसकी कमी खलती,
उसे देने सभी खुशियाँ जहाँ हमने बसाया है ।

अवधेश सक्सेना
16072020

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