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वीर रस में वर्षा ऋतु वर्णन का प्रयास,,,,,,,,,,
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1. गुनगुन करके गगन पुकारे,
धरती जावे कसमसाए।।
लेकर सोंधी-सोंधी खुशबू,
पुरवइया है शोर मचाए।।
मधुर-मधुर तब समझो भैया,
प्यारी रितु पावस की आए।।
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जब सावन में साजन आयें,
गूंजे रागों का मल्हार।
प्रियवर मेरे तुम आ जाना,
करती मैं तुमसे मनुहार।।
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रिमझिम-रिमझिम मेघा बरसे,
अरु ठंडी-ठंडी चले बयार।
तन-मन हर्षित हो जाएंगे,
अनुपम होय पावस-सत्कार।।
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दिनांक- 6 जुलाई,2020
पुष्पा शर्मा
ग्वालियर,मध्य प्रदेश
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