सोमवार, 6 जुलाई 2020

पुष्पा मिश्रा

अपना हिंदुस्तान ( कविता)

मंदिर में बजते हैं घंटे ,
मस्जिद में हो रही है अज़ान।
वैर भाव न किसी के दिल में
सब धर्मों का करें सम्मान
एक दूसरे से सब कहते
जय श्री कृष्णा, जय श्री राम।
ऐसा अपना हिंदुस्तान
ऐसा अपना हिंदुस्तान।।

गांवों में बसता है सच्चा,
प्रेम अपनापन और सम्मान।
झूठ कपट ना भागदौड़ है,
जीवन सादा प्रेम भरा है ।
सरपंच बने या रहे किसान
जय श्री कृष्णा जय श्री राम
ऐसा अपना हिंदुस्तान
ऐसा अपना हिंदुस्तान।।

सीमा पर जो वीर हैं जाते,
वह मातृभूमि की रक्षा करते ।
गांव की मिट्टी में पल कर ,
जाते हैं अरमान छोड़कर
संग अपने सपने ले जाते
अपने सपनों का मोल न जान
जय श्री कृष्णा जय श्री राम
ऐसा अपना हिंदुस्तान,
ऐसा अपना हिंदुस्तान।।

सदियों से ही मातृभूमि को
तन मन धन अर्पण करते।
साहस, धैर्य, और देशभक्ति की
कोई कमी नहीं रखते।
इनके शौर्य और पराक्रम पर
लिखा है भारत का संविधान ।
जय श्री कृष्णा जय श्री राम
ऐसा अपना हिंदुस्तान
ऐसा अपना हिंदुस्तान।।

अन्न उगाकर पालन करते
ब्रह्मा जैसी सृष्टि को रचते ।
ईमानदारी और मेहनत से
धरती मां की सेवा करते।
इसीलिए शास्त्री जी कहते
कि जय जवान और जय किसान
जय श्री कृष्णा जय श्री राम।।
ऐसा अपना हिंदुस्तान
ऐसा अपना हिंदुस्तान।।

सदियों से ही मातृभूमि को
तन मन धन अर्पण करते।
शौर्य परिश्रम, सरल हृदय को
देशभक्ति को अर्पण करते।।
कुछ गद्दारों ने ही मिलकर
किया देश को है बदनाम
जय श्री कृष्णा जय श्री राम
ऐसा अपना हिंदुस्तान
ऐसा अपना हिंदुस्तान।।

वेद उपनिषद ऋषि-मुनियों ने,
भारत को स्वर्ग बनाया था।
कठिन तपस्या, और भक्ति से
विश्व गुरु कहलाया था ।।
अध्यात्म प्रेम और विश्व भावना ने ,
वेदों की ओर लौटाया था ।
आदि गुरु शंकराचार्य का नाम।।
जय श्री कृष्णा जय श्री राम
ऐसा अपना हिंदुस्तान
ऐसा अपना हिंदुस्तान ।।

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