सोमवार, 6 जुलाई 2020

रुचिका सक्सेना

गीत🎙️🎶🎼🎤🎧🙏🌻🤗🌻
★★★★★★★★★★

ये उदासी के बादल हटा दो ज़रा
ये वक़्त भी यूहीं निकल जाएगा
निराशा के साये में क्यों हम पले?
सुनहरा वक़्त इंद्रधनुष बन छाएगा।

सुकोमल फूल-सा मेरा मन
डाल से तोड़कर इसे न मुरझा दीजिए।
पिरोए हैं जो सितारों के मोती
प्रेम की माला में अपने सजा लीजिए
फूल खुशियों के फैलाएँ चारों तरफ
महके उपवन सा खुद को कीजिए।

ये उदासी के बादल.....

डर के साये में रहने से क्या फ़ायदा
गुनाहों को दबाने से क्या फ़ायदा
अरे मुश्किलों से सदा तुम लड़ो
कायर बनकर , रोते रहने से क्या फ़ायदा!
मन में अगर चाह साहस की हो
दृढ़ पर्वत सा खुद को कीजिए।

ये उदासी के बादल.....

नए भोर का सूरज लालिमा बन छाएगा
नित नई उमंग, उम्मीदों को थाम आइए
विषम स्थितियों में विचलित न होइए
पथ ज्ञान का आलोकित करते जाइए।
विषम रास्तों में गर काँटे हो तो क्या
दहकता अंगार सा खुद को कीजिए।

ये उदासी के बादल हटा दो ज़रा
वक़्त भी यूहीं निकल जाएगा
निराशा के साये में क्यों हम पले?
सुनहरा वक़्त इंद्रधनुष बन छाएगा।
★★★★★★★★★★★★
रुचिका सक्सैना✏️😊

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