मंगलवार, 7 जुलाई 2020

कृष्ण मुरारी लाल मानव

भारतीय साहित्य सृजन मंच की प्रतिष्ठा में प्रस्तुत है एक मनहरण घनाक्षरी। 

जगत में कर्म मान अपमान दिलवाये, 
     कर्म ही पुरस्कार दण्ड भी दिलाता है। 
मानव कुकर्म कर बदनामी मोल लेता, 
     शुभ कर्म कर जग नाम ही कमाता है। 
एक धन दूसरे का छीनकर गेह भरे, 
   एक दीन दुखियों की सेवा में लगाता है। 
कहते मुरारी लाल कर्म अपने सभाल। 
     नहीं आता साथ लेके साथ ना ले जाता है। 

कृष्ण मुरारी लाल मानव रामनगर एटा
7017249820

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