शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

ज्योत्स्ना रतूड़ी ज्योति

🙏नमन मंच🙏
विधा-गीत 
दिनांक-10/07/2020
वार-शुक्रवार 
                     😃😀जिन्दगी🙄😬
 हर घड़ी ये जिंदगी बदल रही है रूप 
कभी लगती है छांव सी तो कभी है धूप

 चलती है जिंदगी जब हिसाब से हमारे
 तो दिखते हैं हर तरफ खूबसूरत नजारे

 होती ना कभी जो  मन  की  मुराद  पूरी 
 उस पल होता  एहसास जिंदगी है अधूरी

 बजते हैं दिल में कभी जो प्रेम के गीत
 कानों में बस उठते हैं फिर से कई संगीत 

प्रेम से बढ़कर नहीं  है  जिंदगी  ए   मीत
 बदलेंगे हम मिलकर फिर जमाने की रीत  

 बस बदल रही है यहां  जिंदगी हर  पल
 देती कभी सौगात तो कभी देती है छल।

स्वरचित (मौलिक रचना )
ज्योत्सना रतूड़ी (ज्योति )
उत्तरकाशी (उत्तराखंड)

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