शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

केवरा यदु मीरा

जूही चम्पा चमेली होती है बेटियाँ 
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गंगा की निर्मल नीर सी होती है बेटियाँ।
हम सबकी तकदीर सी होती है बेटियाँ ।

मंदिर की घंटियां है कुरान है कुरान है मस्जिद की।
गुरुद्वारे की गुरूवाणी होती है बेटियाँ ।।

गीता के श्लोक रामायण की चौपाइयाँ।
कबीर की दोहे सी होती बेटियाँ ।।

बेटियाँ नहीं तो सूना    सारा जहाँ 
माँ बहन राखियाँ  सी होती है बेटियाँ ।।

राम कृष्ण गौतम बेटियों की देन है 
सृजन की देवी नारी होती है बेटियाँ ।।
हम सबकी--

बेटी तुलसी की बिरवा फूलों की महक है।
जूही चम्पा चमेली होती है बेटियाँ।
हम सबकी----

सीता सावित्री से समझो न इसे कम।
दोंनो कुल की तारणी होती है बेटियाँ ।।
हम सबकी---

राखी तीज करवा चौथ रस्म बेंटियों से है।
माथे की चंदन अबीर सी होती है बेटियाँ ।।
हम सबकी---

रौशन करेगा बेटा बस एक ही कुल को।
दोनों कुलों के दर्द को सहती है बेटियाँ ।।
हम सबकी--

सानिया किरण वेदी चाहे कल्पना कहो।
आसमां को छू रही आजकल की बेटियाँ ।।
हम सबकी,---

आँगन में कन्यादान होता है जिस घड़ी।
माँ बाबुल की आँख भिगोती है बेटियाँ ।।

पायल की रूनझुन से गूँजे देखो अँगना।
आँगन की लक्ष्मी सरस्वती होती है बेटियाँ ।।
हम सबकी तकदीर सी होती है बेटियाँ।

गंगा की निर्मल नीर सी होती है बेटियाँ ।
हम सबकी तकदीर सी होती है बेटियाँ।।

केवरा यदु "मीरा "
राजिम

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