शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

गोकुल मंडलोई

*इतनी नफ़रत क्यों*
जो नफरत तेरे मस्तिष्क में है,
दिल से भी पूछ ले क्या यह सही है।।१।।
ना तुने देखा मुझे ,
न मैंने तेरा कुछ छीना है।
फिर किस गफलत में, 
दुश्मनी रख ली सोच तू वही है।।२।।
विचार मेरे तेरे मकसद के हो न हो,
किसी को कुछ नसीहत तो देते होंगे।
क्यों उलझन में है ऐ अजनबी राही,
जरूरी तो नहीं कि तू इसे ले के चल।।३।।
करना है गर मुझसे दोस्ती कर
फिर देख मेरे अल्फ़ाज़ कैसे लगते हैं।
वहम से बाहर एक बार निकल
मैं अपनी जगह, तू अपनी जगह सही है।।४।।---गोकुल
गोकुल दास मंडलोई
भोपाल 9826346313

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