सोमवार, 13 जुलाई 2020

अनुरंजना सिंह

🌷🌷भ्रूणहत्या🌷🌷
     "बेटी की इस समाज से गुहार"

मैं बेटी हूं मेरा क्या है दोष,
 मुझे कोख में मारा जाता है।
समाज कहे बेटी अभिशाप है,
क्यों मुझे नकारा जाता है।।
मुझको बोझ मान लिया,
मार डालने की ठान लिया,
मैं लक्ष्मी हूं, मैं दुर्गा हूं,
ये तुम्हें समझ न आता है।
मैं बेटी हूं मेरा क्या है दोष,
मुझे कोख में मारा जाता है।।
दादी ने जांच कराया है,
दादा ने मुझे मरवाया है,
दुनिया में अगर बेटी न रही,
तो बेटा कहां से आता है।
मैं बेटी हूं मेरा क्या है दोष,
मुझे कोख में मारा जाता है।।
पुत्र ही वंश बढायेगा,
बेटी पति घर जायेगी,
ये सोच तुम्हारी कब बदलेगी,
बेटी अनमोल खजाना है।
मैं बेटी हूं मेरा क्या है दोष,
मुझे कोख में मारा जाता है।।
गर बेटी दुनिया में रह न गई,
तो बहू कहां से लाओगे,
जब कोख में उसको मार दिया,
तो वंश कैसे बढाओगे।
बेटी से ही घर रोशन है,
क्यों कोई समझ न पाया है।
मैं बेटी हूं मेरा क्या है दोष,
मुझे कोख में मारा जाता है।।

        रचना
  अनुरंजना सिंह
 चित्रकूट, उत्तर प्रदेश।

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