आज का भाव पुष्प.....
परमात्मा के नाम पत्र.....
प्रिय परमात्मा जी आइये
आप से कुछ बातें हो जाएं
पत्र के बहाने कुछ मुलाकातें
हो जाएं......जब भी
सांसारिक वेदनाओं ने
मन को छुआ और...
आप से बात करने का
मन हुआ...
जिंदगी और रिश्तों से
कितने समझोते करवाओगे
क्या कभी मुझसे दीनों पर
तरस खाओगे....
न आने की ,न बोलने की
न मिलने की आपने
कसम खाई है....
इसीलिए मैंने फिर से
कलम उठाई है....
नेताओं ने देश की गरीब जनता को किस मोड़ पर
लाकर खड़ा कर दिया
सुविधाएं सुरक्षा कम से कम
देकर बिल बड़ा कर दिया
वैसे इसमें आपकी कोई
गलती नहीं है
आप अपनी जगह
बिल्कुल सही हैं....
हममें से ही कुछ तो
चोर हो गये हैं
कुछ परिस्थितियों से
कमजोर हो गये हैं
कभी कभी आप भी
आश्चर्य करते होंगे
इतने सहनशील लोग
आपके समय में भी नहीं होंगे
बड़े बड़े महारथियों को
आपने अपने साथ रख लिया
दुष्टों का विनाश करने
महाभारत कर दिया
हमारे साथ अापने
बिल्कुल अच्छा नहीं किया
कलयुगी दानवों के लिए
एक भी अर्जुन नहीं दिया
एक भी महारथी आप
हमें दे जाते तो फिर भला
अपना दुखड़ा आपको
इस तरह न सुनाते
जिन्होंने कुछ करना चाहा
बांध दिया गया
जिन्होंने कुछ किया
फांसी पर टांग दिया गया
अब तो न कोई कुछ चाहता है
न कोई कुछ करता है
हालात इतने खराब कि
बात करने से भी डरता है
हालांकि मुझे पता है
आप बहुत व्यस्त हैं
अपने आप में
बहुत मस्त हैं.....
जबसे आप क्षीर सिन्धु में
शेषशाई हो गये हैं
आपके सिद्धांत आपके संदेश
धरा पर धराशाई हो गए हैं
आर्थिक विषमता
इस जोर से अड़ी है
एक नहीं सुलझती
दुसरी तैयार खड़ी है
सौदेबाजी भी तुम्हीं से
कर रहे जीवात्मा
काम मेरा ये बना दो
ऐसा करूं परमात्मा
मंदिरों में जाकर तमाम
वादे कर आते हैं
काम पूरा होने पर
सब भूल जाते हैं
परेशान होने पर बेशरम
फिर चले आते हैं
इच्छा पूरी होने पर
आपको फिर लटकाते हैं
पता नहीं जाने क्या क्या
करने का युग है
नाम रखा कलयुग तुमने
पर ये तो नेता युग है
आपको कुछ भी बताना
शायद मेरी भूल ही है
आपका रचा ये प्रपंच
सब निर्मूल ही है....
मूल तो बस आप हैं
कोई अगर जान ले
एक आप ही सत्य हैं
कोई अगर पहचान ले
ऐसा अगर हो सके तो
सब द्वंद मिट जाएंगे
वेदनाओं के सागर
सभी सिमट जाएंगे
मुझे पता है मगर ऐसा
कुछ भी होगा नहीं
कर्म बंधन कैसे कटे
जबतक भोगा नहीं
कर्म बंधनों को केवल
आप मिटा सकते हैं
दर्द की काली घटाओं को
केवल आप हटा सकते हैं
पर ऐसा प्रयास हम
जीवात्मा कहां करते हैं
आपको छोड़कर
झूठी दुनिया पर
विश्वास करते हैं....
और ये दुनिया
विश्वास को तोड़ देती है
साथ देने का वादा कर
बीच में छोड़ देती है
आपसे विनम्र निवेदन है
कभी कभी
नज़र कर दिया करो
भवचक्र में फंसे हुओं पर
कृपा कर दिया करो
तुमसे बातें किए बिना
दिन निकल नहीं सकता
कितनी भी बातें कर लूं
मन भर नहीं सकता
हो सके तो एकाध पत्र का
जबाव दे देना
बिसरे हुए मित्र
सुदामा को याद कर लेना
आपका सुदामा..
शेष..
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