शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

पण्डित सुदामा शर्मा

हां तुमसे चाहत तो है पर
 तुम्हें रिझाना....
  मेरे बस की बात नहीं
तुमसे बातें करने का 
  मन तो है पर
    तुम्हें बुलाना
      मेरे बस की बात नहीं
तुम्हारी बेरुखियों को
  अनदेखा करता हूं
    टूटते सुनहरे सपनों का
       जोखा लेखा करता हूं
दिल तो कहता है
  तुमसे  कह दूं
    दिल की सब बातें....पर
तुम्हें सुनाना दिल की बातें
   मेरे बस की बात नहीं है
तुम चाहो तो
  मिल जाओ आ कर
    या फिर से 
      मेरा दिल तोड़ो
तुम चाहो तो मुझे भुला दो
 पर .... तुम्हें भुलाना
    मेरे बस की बात नहीं...
                 पंडित सुदामा

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