शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

शंभु सिंह रघुवंशी अजेय

9/7/2020/गुरुवार
*लहरिया*
काव्य

पहन लहरिया चली सजनिया
सावन‌ के घर आंगन में।
चहुंओर खुशहाली आई,
अपने मन के आंगन में।

रंग-बिरंगी तितली उड़ती
हरियाली सी छाईं है।
मन मयूर पुलकित हैं सारे,
घर-घर खुशियां आईं है।

नाचें कूदें  सखियां रानी,
मेघ मल्हार गाते हैं।
झरने झरते सुंदर दिखते,
नृत्य मयूरी भाते हैं।

लहर लहर लहराऐ लहरिया
गोरी बहुत सुहाती है।
श्रृंगारित हो निकसे घर से,
हमको बहुत लुभाती है।

सावन महिना हरित पावना,
हिना यहां लग जाती है।
महिला मंडल की खुशियों में,
बरखा जी जब आती है।

स्वरचित
इंजी शंम्भू सिंह रघुवंशी अजेय
 गुना म प्र

*लहरिया*
काव्य
9/7/2020/गुरुवार

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