शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

कमल सक्सेना

🌹🌹🌹🌹🌹 ग़ज़ल  🌹🌹🌹🌹🌹
अपना  ही  कोई   गैर  समझकर  चला  गया।
दिल  तोड़कर  मेरा  वो  सितमगर चला गया।
🌹🌹
मेरे   लबों   पे  अनबुझी  सी  प्यास  देखकर।
आकर    मेरे    करीब   समंदर   चला   गया।
🌹🌹
मैं  आशियाँ   था   टूटकर  ज़मीन  पर  गिरा।
लेकिन  वो  परिंदा  था वो उड़कर चला गया।
🌹🌹
अंजाम    सोचते    ही    रुह   कांपने   लगी।
जब  आईने  के  साथ  में  पत्थर  चला गया।
🌹🌹
करता रहा वो बात ए वफ़ा शाम तक कमल।
होने  लगी  जो  रात  तो  उठकर  चला गया।
🌹🌹
🌹ये ग़ज़ल मेरे प्रकाशित काव्य संग्रह,,,,,,,
कब तक मन का दर्द छुपाते,,,,से ली गई है🌹
🌎 यह ग़ज़ल मेरे प्रकाशित काव्य संग्रह,,,,,
कब तक मन का दर्द छुपाते ,,,,से ली गयी है🌎

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