🌹🌹🌹🌹🌹 ग़ज़ल 🌹🌹🌹🌹🌹
अपना ही कोई गैर समझकर चला गया।
दिल तोड़कर मेरा वो सितमगर चला गया।
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मेरे लबों पे अनबुझी सी प्यास देखकर।
आकर मेरे करीब समंदर चला गया।
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मैं आशियाँ था टूटकर ज़मीन पर गिरा।
लेकिन वो परिंदा था वो उड़कर चला गया।
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अंजाम सोचते ही रुह कांपने लगी।
जब आईने के साथ में पत्थर चला गया।
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करता रहा वो बात ए वफ़ा शाम तक कमल।
होने लगी जो रात तो उठकर चला गया।
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🌹ये ग़ज़ल मेरे प्रकाशित काव्य संग्रह,,,,,,,
कब तक मन का दर्द छुपाते,,,,से ली गई है🌹
🌎 यह ग़ज़ल मेरे प्रकाशित काव्य संग्रह,,,,,
कब तक मन का दर्द छुपाते ,,,,से ली गयी है🌎
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