वीर शहीद जवानों के सम्मान में कुछ पंक्तिया लिखी है।
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सारे पड़ोसी नाम के है, अच्छा न एक से नाता है।
कितने घाव दिए है सब ने, अब सहा न जाता है।।
अपने पैसों से ही तो, इनके घर चल पाते थे।
चूजे का बच्चा देखो, शेर को आँख दिखाता है।।
वक्त आ गया हे अब तो,जमकर एक प्रहार करो।
घर में घुसकर इन भेड़ियों का, तुम संहार करो।।
आज फिर देश को रुलाया है, अमन के लुटेरों ने।
बाधंकर सर पे कफ़न, अब तुम शखंनाद करो ।।
आओ सब मिल कर, ऐसा काम कर जाये।
इन गद्दारों का चौराहे पर, कत्लेआम कर जाये।।
शहीदों की शहादत पर, सियासत करने वालो।
चलो अपनी जान भी, वतन के नाम कर जाये।।
धरती को लहुँ से सींचकर, यह फसल उगाई है ।
शहीदों की बदोलत ही, ये ख़ुशीयाँ घर आई है।।
वतन के नाम कर दी है, जिसने जिंदगी अपनी।
जिसने जना उस लाल को, उस माँ को बधाई है।।
अब तो आग उगल दी तूने, कर ली हमसे गद्दारी ।
वीर जवानों का बलिदान, पड़ेगा तुझ पर भारी।।
हद में रहो चीनी पिद्दों, औखात नहीं है तुम्हारी।
पाक से बाद में निपटेंगे, अब पहले तेरी बारी।।
©कमलेश शर्मा "कमल" (अध्यापक)
मु.पो.:-अरनोद, जिला:- प्रतापगढ़ (राज.)
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