😡 *घरेलू हिंसा* 😡
घरेलू हिंसा है बड़ा,
सामाजिक अभिशाप।
लॉकडाउन में सबसे ऊपर,
पहुँचा इसका ग्राफ।।
हिंसक होना-हिंसा सहना,
दोनों एक से पाप।
रोज-रोज की सुन घटनाएं,
रुह जाती है काँप।।
चिंतनीय वह क्षण,
हाथ उठाएं बेटी पै बाप।
मेरा तो बस कहना इतना,
सीखो गुस्से को भी पीना।।
स्वीकारो कमियों को अपनी,
मानो लो मेरी बात।
क्षमा शीलता से बढ़कर,
नहीं दूजा सुशिक्षा का माप।।
दिनांक- 10 जुलाई,2020
पुष्पा शर्मा
गोरखी ,ग्वालियर
मध्य प्रदेश
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