शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

किशोरी लाल जैन बादल

बादल की कलम से              काल के गाल में गीत 

ऐ मुनासिब नहीं आप बच पाओगे काल के गाल में कब समा जाओगे
 काम कुछ भी ना आएंगी चतुराइयाँ टूट जाएंगी सांसों की शहनाइयां
 सोचिए साथ ले कर के क्या जाओगे काल के गाल में कब समा जाओगे ऐ मुनासिब नहीं...

 वेवसों के निवाले छिनाते हो क्यों जुल्म पर जुल्म वेखौप ढाते हैं क्यों 
 खौप खाओ खुदा का सँमर जाओगे काल के गाल में कब समा जाओगे ऐ मुनासिब नहीं...

 उस कमाई से बेशक बड़े हो रहे वद कमाई से किसके भले हो रहे लेके क्या आए थे लेके क्या जाओगे काल के गाल में कब समा जाओगे यह मुनासिब नहीं... 

काम ऐसा करो नाम जग में रहे बाद मरने के संसार हीरा कहे सांच को आंच बादल नहीं पाओगे काल के गाल में कब समा जाओगे ऐ मुनासिब नहीं... 

   स्वरचित गीत कवि किशोरी लाल जैन बादल भिंड मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 95 756 34 664

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