तस्वीर......
ये आदमी इतना क्यों
मजबूर हो जाता है
किसी और के लिए
अपनों से दूर हो जाता है
कल्पित कटु कुंठाओं को
लेकर जीता है
व्यर्थ, विवेक हीन,विषम
वेदनाओं को पीता है
और प्रदर्शित करता है कि
कितना बुद्धिमान है
कोई समझे न समझे
अपने आप में महान है
करना सिर्फ उनके लिए
जिनसे स्वार्थ हो
दिखावा ऐसा जैसे
परमार्थ हो
आखिर इस आदमी को
क्या हो रहा है
जिस मार्ग पर चलना है
उसीपर कांटे बो रहा है...
पंडित सुदामा...
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