*कुंडलिया छंद*
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जय जय माता पार्वती,
जय जय भोलेनाथ।
आन विराजो ह्रदय में,
गणपति जी के साथ।।
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गणपति जी के साथ,
भोग लडुवन के अर्पण।
धूप -दीप नैवेद्य सँग,
प्रभू सर्वस्व समर्पण।
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विपति विदारन हार,
महादेव की आरती।
करते सब मिल आज,
जय हो माता पार्वती।।
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सोमवार का व्रत करें,
सावन में सब लोग।
शिवजी की पूजा करें,
कदली का दें भोग।।
कदली का दें भोग,
मुदित मन आरति गावें।
शंभु शंकर महादेव,
गंग जल अति मन भावें।।
जय जय भोलेनाथ,
जय जय जय श्री करतार।
मिलजुल पूजन करें,
सावन मास सोमवार।।
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बड़ा सुहावन लागता,
सावन का ये मास।
बहिना राह निहारती,
बड़ी लगी है आस।।
बड़ी लगी है आस,
मिलन सखियों संग होवे।
मन की गांठे खोल,
बिनचिंता जीभर सोवे।।
देती यही बताए,
समय लगे पंख भागता।
हिय में आय हिलोर,
सावन प्यारा लागता।।
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दिनांक-13 जुलाई,2020
पुष्पा शर्मा
ग्वालियर,मध्य प्रदेश
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