सोमवार, 13 जुलाई 2020

गोकुल मंडलोई

"बौद्ध धम्म पर दोहे"
बौद्ध धरम को जानिऐ, कुछ दोहों के साथ।।
सबका मंगल होएगा, मंगलमय यह गाथ।।१।। 
हैं बुद्ध प्रणेता धम्म के, करुणा के हैं धाम।।
ज्ञान चक्षु खुल जाएंगे, उनको करें प्रणाम।।२।।
"आर्य सत्य है चार" ही, "मार्ग अष्टांगिक" जान।।
"दस परिमिता" ध्यान रखो, यही धर्म का ज्ञान।।३।।
"दुःख" प्रथम आर्य सत्य है, दूसरा "दुख समुदय"।।
दुख को पहले समझ सको, कहां से हुआ उदय।।४।।
तीसरे आर्य सत्य को, "दुख निरोध" से जान।।
दुख का कारण ज्ञात हो, मिलकर करें निदान।।५।।
"दुख निरोध मार्ग" समझ, हो जा दुख से दूर।।
चौथा आर्य सत्य यही, सुख से है भरपूर।।६।।
"आर्य अष्टांगिक मार्ग" से, चलो धम्म की ओर।।
सम्यक बुद्धत्व को जान लो, मिले ज्ञान का ठौर।।७।।
कायिक, वाचिक, मानसिक, भले बुरे का ज्ञान।।
"सम्यक दृष्टि" प्रथम अंग है, करते बौद्ध बखान।।८।।
आसक्ति, विद्वेष, हिंसा का, कर मन से परित्याग।।
"सम्यक संकल्प" यह दूसरा, है अष्ट अंग का भाग।।९।।
झूठ, कपट, कटु बोलना, नहीं करो बकवास।।
तिसरा "सम्यक वाक" कहे, मन में ना हो त्रास।।१०।।
हिंसा, व्यभिचार छोड़िए, चोरी करना पाप।।
"सम्यक कर्मांत" ही कर्म है, चतुर्थ अष्टांग निष्पाप।।११।।
मांस, जहर, मद्य, जीव का, मत करिये व्यापार।।
"सम्यक आजीव" समझ लो, पांचवा अंग विचार।।१२।।
नित "सम्यक व्यायाम" करो, छटवां सम्बुद्ध समान।।
इंद्रिय वश में सदा रखो, सत्य विचार को जान।।१३।।
सुरता को चित में धरो, अधर्म कभी ना होय।।
"सम्यक स्मृति" अंग सातवां, चार भाग का होय।।१४।।
एकाग्रचित्त व प्रज्ञा मिले, "सम्यक समाधी" भाय।।
आर्य अष्टांगिक मार्ग का, यह अष्ट अंग कहलाय।।१५।।
"दस पारमिताएं" बुद्ध की, है जीवन का मूल।।
ध्यान सदा इनका रखो, नहीं करो कुछ भूल।।१६।।
"शील, दान और सत्य" का, सदैव करो व्यव्हार।।
"उपेक्षा, नैष्क्रम्य" कर्म का, करना है प्रतिकार।।१७।।
"वीर्य, अधिष्ठान" दृढ़ करो, बन जाओ बलवान।।
"करुणा, मैत्री, क्षांति" से, करते रहो कल्याण।।१८।।
सार तत्व यही धर्म का, बाइस प्रतिज्ञा जान।।
बुद्ध वाणी अनुसरण करों, और न दूजा ज्ञान।।१९।।
नित्य स्मरण करते रहो, गोकुल दोहे बीस।।
सबका मंगल होयेगा, बुद्ध की है आशीष।।२०।।
दोहावली---गोकुल १२/५/२०२०

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