********* *गीत************
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*जगत विद्रूपताओं का यहां अनुपम ठिकाना है।*
*परन्तु इस जगत में रहकर, सबसे ही निभाना है।*
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*सगे करते दग़ा फिर भी,मगर दिल से हमारे हैं।*
*चले संघर्ष की राहें,कभी दिल से न हारे हैं।*
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*हमें तो आजमाना है,भले उनका जमाना है।*
*जगत विद्रूपताओं का, यहां अनुपम ठिकाना है।-01*
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*कभी मीठे लगे नाते,कभी लगते वहीं खारे।*
*उन्हीं के संग रह जीते, उन्हीं के संग रह हारे।*
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*किसी कीमत बना रखना,भले मुश्किल उठाना है।*
*जगत विद्रूपताओं का यहां अनुपम ठिकाना है।-02*
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*ये स्वार्थ से जुड़े नाते,ये दुनिया ही निराली है।*
*इन्हीं से काम लेना है, इन्हीं के संग दिवाली है।*
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*कभी अनबन भी हो जाए,कभी हंसना हंसाना है।*
*जगत विद्रूपताओं का यहां अनुपम ठिकाना है।*
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*प्रदीप ध्रुवभोपाली भोपाल मध्यप्रदेश,09/07/2020*
*मो-09589349070*
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