नमन भारतीय साहित्य सृजन मंच🙏🙏
दिनांक :11/07/2020
हृदय
के बन्धन
नही बंधते
उसूलों कायदों ,
धन वैभव की नुमाइश
या आकर्षक महंगे उपहारों से ।
जीवन
के इस कदम मे
सुःख दुःख है इतने गहरे
मानो हर क्षण हर पल आये
खुशी बेशुमार और छाये बंदिसों
के पहरे, रोशनी के लिए पस्त हुए हौसले ।
हैरान
आँखे हरदम
कशमकश मे
परेशान कदम ले जाते
हैं खुदबखुद मनभावन राह
पर जहाँ राह तके कोई मुद्दत से ।
स्वरचित मौलिक रचना
रचनाकार दीपान्जली दुबे
कानपुर नगर ।
उत्तर प्रदेश ।
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