सोमवार, 13 जुलाई 2020

ज्योत्स्ना रतूड़ी

🙏नमन मंच 🙏
विधा-कविता मुक्तक
दिनाकं-13/07/2020
वार-सोमवार 
               🌹रखो रिश्तों को सम्भाल कर 🌹

 रिश्तो की डोर 
हो न कमजोर
 मुस्कान से अपनी
 कर दो सराबोर।

 रिश्ता हो दिल का 
 मीठा स्नेह का 
प्रगाढ़ हो रिश्ता 
खिले नूर चेहरे का

 व्यवहार से अपने 
सच हो जाए सपने 
छोड़ ना जाए कोई 
पहनो रिश्ते के गहने 

अगर कोई चुप हो जाए
 प्यार से  उसे   मनाएं
पहल  तुम कर  दो
 रिश्ता टूटने ना पाएं

अहम   ही     तोड़ता 
दिलों     का     रिश्ता
 गवाँ  दो   तुम मैं   पन 
संभालो प्यार का रिश्ता

 झुकना जो   पड़ जाए 
तो   झुक   भी   जाएं
सच्चा नहीं मिलता फिर
 पहले, प्यार को लौटाएं 

हो    रहे    रिश्ते   खत्म 
बचाने का  करो    जतन
 आदर नम्रता रखो  साथ 
खुशियां मिलेंगी फिर अनंत।

स्वरचित( मौलिक रचना )
ज्योत्सना रतूड़ी (ज्योति )
उत्तरकाशी (उत्तराखण्ड)

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