सोमवार, 6 जुलाई 2020

राम किशोर वर्मा

_सखी छंद में_

*हाला प्याला मधुशाला*

जीवन है इक मधुशाला
सत्कर्मी सुंदर प्याला ।
तरह-तरह जिम्मेदारी
खींचे हैं बन कर हाला ।।1 ।।

कुछ को तो खाना-पीना
अपनी दुनिया में जीना ।
हाला-प्याला मधुशाला
ने जीवन तक है छीना ।।2 ।।

मंँहगी कितनी भी कर लो
पीनी है हमको हाला ।
रोटी संँग सब्जी मत दो
मधुशाला में दो प्याला ।।3 ।।

ईश्वर मेरी मधुशाला 
भक्ति मुझे जैसे हाला ।
सफल तभी मेरा जीवन
जब मोक्ष मिले मधु प्याला ।।4 ।।

   *राम किशोर वर्मा*
     जयपुर (राजस्थान)

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