है द्वन्द देश में मचा हुआ, क्यों बैठे हो अलसाये सभी ।
जागो धरती के वरद-पुत्र, लेखनी ना रुकने पाये कभी ।
इक तरफ है टोली भ्रष्टों की, लोभी और अत्याचारी की ।
इक तरफ है मानवता निर्बल, है जकड़ में वो बीमारी की ।।
लेखनी-कृपाण उठाओ तुम, दहशत के मिटाओ साये सभी...
जागो...
रिश्वत का धंधा जोरों पर, ईमान तो बना खिलौना है ।
धन और बाहुबल के आगे, इंसान बन गया बौना है ।।
दो चोट लेखनी की ऐसी, दीवारें ये गिर जायें सभी..
जागो...
अब उठो ! दिखाओ ताकत तुम, बाजुओं में ऐसा जोर भरो ।
भ्रष्टाचारी की खैर ना हो, डंके की ऐसी चोट करो ।।
संग्राम मचा दो ऐसा "सरस", ये लौट के फिर ना आयें कभी...
जागो...
सर्वेश उपाध्याय "सरस"
अम्बेडकर नगर
उत्तर प्रदेश
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