शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

गीता नायक

आदरणीय मंच
सादर नमन
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

मुक्तक 

122,,,,122,,,122,,,,,12


मुझे तुम मिल गए , जहा़ँ मिल गया।
ज़मीं मिल गई ,आसमा़ँ मिल गया।।
इससे*  ज्यादा * कुछ और चाहत नहीं ।
इश्क के सफ़र में मुकाँ मिल गया।।

गीता नायक'गीत'
बिलासपुर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

वासुदेव अग्रवाल नमन जी द्वारा सवैया विधान

 वासुदेव अग्रवाल नमन तिनसुकिया ने सवैया छंद का विधान बहुत ही सरल तरीके से समझाया है । सवैया छंद विधान सवैया चार चरणों का वार्णिक छंद है जिसक...