🙏🏻गुरु वन्दना 🙏🏻
गुरुवर ज्ञान की गंगा सा पावन कर दिया तन मन मेरा
आज जो ये दीप प्रज्वलित है
मुझ पर कृपा की सरित ज्ञान प्रवाह कर ।
आप सर पर हाथ रख कर दे सदा आशीष मुझको ।
हो मनोरथ पूर्ण मेरे और फिर क्षण भर न भय हो ।
ईश हो तुम मात हो तुम पीत हो
मेरे गुरूवर दृष्टि हो तुम दृश्य हो
तुम ही गुरु अमृतवाणी अनंत हो ।
तुम ही ब्रह्मा विष्णु शिव हो
तुम जगत के ज्ञान के आधार हो
तुम्हारे ही कर कमलों नतमस्तक पूर्ण ब्रम्हांड है ।
हे मेरे गुरदेव करती हूं तुम्हे सत् सत् नमन ।
स्वरचित मौलिक रचना
रचनाकार :दीपान्जली दुबे
कानपुर नगर ।
उत्तर प्रदेश ।
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