शनिवार, 11 जुलाई 2020

ज्योत्स्ना रतूड़ी ज्योति

🙏नमन मंच 🙏
 दिनांक- 11 /07/2020
वार-शनिवार 
                     "ओ बरसों काले बदरा"
ओ बरसों काले बदरा 
दिल मेरा जोर से धड़का
 याद पिया की आयी
खींच उन्हें मैं लायी।

झूम के नाचू आज पिया संग  
 बन के मतवारी लग जाऊं अंग 
नाचू बन मै आज मयूरी 
बावरी को अब ना करो तंग

उमड़ घुमड़ के बदरा बोले
संग संग मन मेरा भी डोले
नई नवेली अनुपम सी मैं 
 शरमाकर यूं नैना खोलें।                                                   कब से हुई पूरी मेरी चाह          
निकली फिर मुँह से मेरी आह  
आज हो गई मै तो तृप्त                
पिया भी बोले वाह भई वाह।

स्वरचित(मौलिक रचना) 
ज्योत्सना रतूड़ी (ज्योति )
 उत्तरकाशी (उत्तराखंड)

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