शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

दोहे

दोहे

कितनी सुंदर वाटिका, खिलते सुंदर फूल ।
शूल हृदय के सब मिटें, चुभें नहीं अब शूल ।

भिन्न भाषा धर्म यहाँ, मिल कर बनता देश ।
देश बाग महका करे, कहे यही अवधेश ।

अवधेश सक्सेना- 19072020
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