सोमवार, 6 जुलाई 2020

कु चंदा देवी स्वर्णकार

🇮🇳🇮🇳 सैनिक🇮🇳🇮🇳
भारत के वीर सिपाही हम, करते हैं तेरा अभिनंदन।।। बंदिनी है मातृभूमि ईयर मातृभूमि पर मरने वाली।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। राष्ट्रीय की ज्वाला में आहुति करने वाले।। उनको इस भारत की माटी हमतौ पद रज चंदन ।।।।।।।।।।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 छोड़ी तूने गांव की गलियां छोड़ी।। तूने बाग की कलियां भारत मां की रक्षा खातिर। छोड़ा तूने सब अपनापन।।।।।🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 ओ मेरे बैरी सजनवा तेरे बिन ना लागे मनवा। देखो सर्दी आ गई है धूप भी मुरझा गई है। तन बदन मेरा सिहरता। तुमसे मिलने का जी करता। तुमको जब मैं सोचती हूं खुद को कैसे रोकती हूं।।।।।।🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 मम्मी पापा कब आएंगे। मेरे लिए क्या क्या लाएंगे। बेटा जब यह पूछता हूं मुझको कुछ ना सोचता है तू ना अपना मन गिराना, हमको अपने साथ पाना।।।😭😭😭😭😭😭😭😭😭
रोए भाई रोए बहना । रोते बाबा रोती है मां। रोटी बेटी बेटा रोता देहरी रोती रोता अंगना। रोए बिछिया रोए कंगना। रोती है उस की दुल्हनिया। रोती है इस देश की जनता। रोटी उसकी भारत मा है👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻 पूछती बंदूक की टोपी। कहां गया हो फौजी। तोप गोले पूछते हैं कहां गया मेरा मन मौजी। वर्दी उसकी पूछती है कहां गया वह मेरा जंगी। चारपाई पूछती है कहां गया वह मेरा संगी । पूछे उसके जूते मोजे। कमरबंद स्कूली खोजें। आजा मेरे फौजी आजा। तेरी बैरक तुझे पुकारे। द्वारे उसकी राह निहारे आजा तेरी राह ताकते। आजा मेरे वीर सिपाही करते हैं तेरा अभिनंदन🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 आसमा पे आंख के आंसू तारे बनके टिमटिमाते। सूर्य का दिल जल रहा है आप दुनिया में लगा कर। धरती का सीना पड़ा हो घटता बढ़ता चंद्रमा है। आज हिमालय रो रहा है हाय यह क्या हो रहा है। पेड़ की साखे झुकी है । वायु की सांसे रुकी है। तेरा रुतबा है हमको खड़ा हिमालय तेरे दम से। लिपट के रोती गंगा जमुना कहां गया वीरों का गहना।।।।।। भारत के वीर सिपाही हम करते हैं तेरा अभिनंदन वंदनीय मातृभूमि मातृभूमि पर मरने वाले।।।।


जय हिंद
भारत माता की जय🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳।।।। कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार जबलपुर

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