वेणु गीत.....
ये बंसी बजी है या जादू किया है....२ओहो हो हो ओ हो हो
ये बंसी बजी है
या जादू किया है
न वश में किसी के
किसी का जिया है..…न .
१. पवन चल रही है
मगर धीरे धीरे २
पुलकित हुए हैं
यमुना के तीरे...
भंवरों ने गुंजन को
कम कर दिया है... ये बंसी...
२ भूले चहकना
पंछी ये सारे... हो हो हो
वन वन भटकते
मृग ये बिचारे...
बछड़ों ने गउओं का
पर ना पिया है....ये बंसी..
३. कूके न कोयल
नाचे ना मयूरा.....
दिखे नाहिं मोहन
ये जीवन अधूरा
बृज रज के कण कण को
पावन किया है... ये बंसी...
४. मन नाहिं वश में
गोपी ये सारी
प्रतिमा बनी हैं
करें क्या बेचारी
मनहर ने सबका
मन हर लिया है ...ये बंसी...
ओहो हो हो ओ हो हो हो...
ये बंसी बजी है या जादू....
न वश में किसी के......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें