#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल
#आपको_मुझ_से_कहो_कोई_शिकवा_तो_नहीं ।
आपको मुझ से कहो कोई शिकवा तो नहीं ।
ज़िंदगी कर दी हवाले चाहिए ज़्यादा तो नहीं ।
अब तुम्हारी ही तमन्ना में गुजरते रात दिन,
माँग लूँ तुमको कोई टूटता तारा तो नहीं ।
खूबसूरत वो बला की हो गया उस पे फिदा,
वो कभी मेरी बनेगी कहीं सपना तो नहीं ।
जान हाज़िर है हमारी बोल दो क्या चाहिए,
जो किया वो न निभाया ऐसा वादा तो नहीं ।
ख़्वाहिशें उसकी अजब हैं हो रहीं पूरी मगर,
आदमी है आम जैसा वो निराला तो नहीं ।
इक झलक अपनी दिखाकर वो कहीं फिर खो गया,
आसमाँ में जो चमकता वो सितारा तो नहीं ।
दिल बड़ा कमजोर है ये दे दिया तुमको मगर,
खेल कर तोड़ते हो तुम ये खिलौना तो नहीं ।
अवधेश सक्सेना-25072020
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