शनिवार, 25 जुलाई 2020

#अवधेश की ग़ज़ल #आपको मुझ से कहो कोई शिकवा तो नहीं

#ग़ज़ल #अवधेश_की_ग़ज़ल 
#आपको_मुझ_से_कहो_कोई_शिकवा_तो_नहीं ।

आपको मुझ से कहो कोई शिकवा तो नहीं ।
ज़िंदगी कर दी हवाले चाहिए ज़्यादा तो नहीं ।

अब तुम्हारी ही तमन्ना में गुजरते रात दिन,
माँग लूँ तुमको कोई टूटता तारा तो नहीं ।

खूबसूरत वो बला की हो गया उस पे फिदा,
वो कभी मेरी बनेगी कहीं सपना तो नहीं ।

जान हाज़िर है हमारी बोल दो क्या चाहिए,
जो किया वो न निभाया ऐसा वादा तो नहीं ।

ख़्वाहिशें उसकी अजब हैं हो रहीं पूरी मगर,
आदमी है आम जैसा वो निराला तो नहीं ।

इक झलक अपनी दिखाकर वो कहीं फिर खो गया,
आसमाँ में जो चमकता वो सितारा तो नहीं ।

दिल बड़ा कमजोर है ये दे दिया तुमको मगर,
खेल कर तोड़ते हो तुम ये खिलौना तो नहीं ।

अवधेश सक्सेना-25072020

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