शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

कृष्ण मुरारी लाल मानव

भारतीय साहित्य सृजन मंच
देव घनाक्षरी-एकचरण में (8, 8,8,9) 33वर्णपर यति तथा अन्त में लघु लघु लघु। 
अनेकता में एकता बिबिध रूप दीखता, 
     जगत में मिशाल है हमारा प्यारा सा बतन। 
बिबिध रुप रंग के अनेक चाल ढंग के, 
     अलग बोलें बोलियां देशों में देश ज्यों रतन। 
हो भेद जाति धर्म का हो
भेद क्रिया कर्म का, 
न फूट  डाल पायेगा करे 
हजार भी जतन। 
ये भूमि राम कृष्ण की रहीम रसखान की,
      वो प्रेम की हवा बहे करे है द्वेष का पतन।। 
कृष्ण मुरारी लाल मानव रामनगर एटा

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