सोमवार, 6 जुलाई 2020

उदयराज सिंह एडवोकेट 5 जुलाई 20 के पसंदीदा रचनाकार

*गुरु पूर्णिमा*
*पंचचामर छन्द*

झुका रहा स्वशीस आज पूज्य गुरु महान को,
विनीत हो करूँ प्रणाम ज्ञान के निधान को |
अतुल्य ज्ञान सिन्धु के समग्र रूप आप हैं,
हरें हताश शिष्य के समस्त आप ताप हैं ||

पुनीत पर्व पूर्णिमा हमें सदा सिखा रही,
गुरुत्व मार्ग ज्ञान के हमें सभी दिखा रही |
लिखूँ पवित्र काल में सुलेख गुरुप्रताप का,
कृतज्ञ मैं रहूँ सदैव वन्दनीय आपका ||

निकाल अंधकार को प्रकाशवान कीजिये
सुधार दोष पुन्ज को दया महान  कीजिये।
किया सदा निदान आपने सभी कुबुद्धि का
प्रबोध दे किया सदैव होम बुद्धि-शुद्धि का ||

अनन्य ज्ञान पुंज हो तथा कृपानिधान हो,
अधीर मूर्ख शिष्य हेतु आप धैर्यवान हो |
सकाम स्वार्थ साधना न पास आपके टिके,
व कर्म मार्ग में कभी न पैर आपका रुके ||

उतार मैं सकूँ कभी न कर्ज ज्ञान-दान का,
रिणी रहूँ सदैव आपकी कृपा विधान का |
प्रसंग गा सकूँ सदैव आपके प्रभुत्व का,
मिले मुझे प्रसाद पूज्य आपके ममत्व का ||



गरुदेव गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आपको कोटिशः नमन।।🙏🙏🙏🙏


*उदयराजसिंह एड.*
*हरदोई उ.प.*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

वासुदेव अग्रवाल नमन जी द्वारा सवैया विधान

 वासुदेव अग्रवाल नमन तिनसुकिया ने सवैया छंद का विधान बहुत ही सरल तरीके से समझाया है । सवैया छंद विधान सवैया चार चरणों का वार्णिक छंद है जिसक...