सोमवार, 29 जून 2020
ख़्वाब तू माँ बाप के साकार कर
ग़ज़ल
ख़्वाब तू माँ बाप के साकार कर
ख़्वाब तू माँ बाप के साकार कर ।
प्यार उनसे है अगर इज़हार कर ।
क्या कहा तूने मुझे मैंने तुझे,
अब नहीं इस बात पर तकरार कर ।
चाहता लिखना असर वाली ग़ज़ल,
तेज अपनी तू कलम की धार कर ।
आग नफ़रत की अगर बुझती नहीं,
प्यार की बूँदों भरी बौछार कर ।
है बुरी आदत नशे की मान ले,
चल नहीं इस राह पे इंकार कर ।
देख चलती है हवा अब किस तरफ,
रुख बदलने तू उसे तैयार कर ।
हुस्न देखा और पागल हो गया,
इश्क़ तुझको भी हुआ इक़रार कर ।
अवधेश सक्सेना-28062020
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