आज की उपस्थिति..
अवधेश भाई अवश्य देखने की कृपा करें और मेरी धृष्टता को क्षमा करके मार्ग दर्शन भी करें.
प्रियामृतावधेश छंद में 🙏🙏
कब
आसाँ
होता है
जीवन जीना
हँस कर सब सहना
और अनवरत चलना
फिर भी कुछ तो ऐसा है
जब बोझा बोझ नही लगता
हँस हँस कर हर पीड़ा सहते हैं
और मुँह से कुछ नहीं कहते हैं.
क्यों कहना! सब तो अपने हैं,
छोटी सी दुनिया मेरी
वे मेरे सपने हैं
मैं खुश होती हूँ
वे जो खुश हों
जीवन है
आसाँ
अब.
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सुदर्शन शर्मा.
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