शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

कमलेश शर्मा कमल

वृक्ष (पर्यावरण) चालीसा

दोहा
   विश्‍व दिवस पर्यावरण, प्राणिजगत से नेह ।
  अग्नि,मेघ,जल,वायु,क्षिति, गढ़ते मानव देह ।।

पाँच जून इक दिवस विशेषा ।  बिना वृक्ष जीवन अवशेषा।।
पादप प्राण वायु दिलवाएं । जल जीवन आधार बनाएँ।।
वृक्ष धरणि अनुपम श्रृंगारा ।  भेंट देहि जन विविध प्रकारा।।
रंग बिरंगे पुष्प नित पाते ।  सुन्दर सरस आँगन महकाते।।
सबसे मधुरम फल हम खाते ।  वह सब कानन से है आते।।
धूप ताप जब अति कर जाई ।  तरु पल्लव छाया मन भाई।।
जो भी नित नित पेड़ लगावे ।  उस भू पर अकाल ना आवे।।
बिन तरूवर वर्षा नहीं होई ।  चाहे लाख जतन कर कोई।।
नदियां कल-कल करती जाती ।  धरती हरी-भरी हो जाती।।
अब न करो तुम इसका शोषण ।  फैला है अब घोर प्रदूषण।।
वैश्विक उष्णता है बहु भारी ।  वृक्ष लगाकर बन हितकारी।।
स्वार्थ भाव से वन को काटा ।  प्रकृति मार रही बहु चाटा।।
पहले किया इसका बहु भक्षण ।  आओं मिलकर करे संरक्षण।।
सब जन इक-इक वृक्ष लगाएं ।  हम सब से संकल्प कराएं।।
परम सुखी हो सब जन देशा ।  रहे निरोग न हो कछु क्लेशा।।
वृक्ष हमारे जीवन दाता ।  यही हमारे भाग्य विधाता।।
माता अब है हमें बुलाती । पेड़ लगा कर करो प्रभाती।।
अब न करो कोई अपराधा ।  मिलकर दूर करें यह बाधा।।
कहती हमें सभी सरकारें ।  जागों, उठो, लगाओ नारे।।
इस धरती का कर्ज चुकाओ ।  हर शुभ दिन पर वृक्ष लगाओ।।
संभल जाओ स‍ब नर नारी ।  फिर जीवन ना होय दुखारी।।
विपदा कर देगी जब धावा ।  धरती ताप प्रबल बढ़ जावा।।
ए.सी. फ्रिज ना कछु कर पावें । दिन दिन वृक्ष अगर कट जावें।।
दूषित द्रव्‍य बढ़े निस दीन्हा ।  तह ओज़ोन में छिद्र कीन्हा ।।
दंड न देई कोई शासन ।  जो खुद पर राखे अनुशासन।।
वृक्ष लता मन को अति भाते ।  कंद मूल फल औषधि पाते ।।
गरजे तब तब घन अतिभारी ।  धरा वधू  सी लागे प्‍यारी ।।
जब जब बढ़त जात जनसंख्या। तेहि विधि घटत पादप संख्या।।
बिन पेड़ों  के मेघ न बरसे। पेड़ लगे तो हम ना तरसे ।।
जीव जन्‍तु पशु पंछी सारे।  विचरण करते तेरे द्वारे ।।
काज करो जनहित उपकारा ।  मिले जीवन तब सुख अपारा।।
सादर नमन सहित जो ध्यावे ।  धन दौलत से घर भर जावे।।
निस दिन इनको नीर पिलाता । विटप छाँव फल प्रसून पाता ।।
पवन शुद्ध पातें दिन राता ।  जय हो वृक्ष सकल सुख दाता ।।
वृक्ष देव को पुष्प चढ़ावे।  अपना क्या जो भोग लगावे।।
रोजी रोटी सबको देता ।  हमसे यह कछु नाही लेता ।।
अहोभाग्य है जीवन मेरा ।  निस दिन पाता दर्शन तेरा।।
जो पढ़े पर्यावरण चालीसा।  सब विधि शुभकारी गौरीसा ।।
इक दिन भी हम भूल न पावा ।  हर पल वृक्ष ध्यान में लावा।।
"कमल" सभी को यही बतावे ।  वृक्ष लगावें प्राण बचावें।।

  दोहा
               कहत कमल सबसे यही, मानव पेड़ लगाय ।
            सब प्रसन्‍न सब पर कृपा, माँ प्रकृति कर जाय ।।

©कमलेश शर्मा "कवि कमल"
मु. पो.-अरनोद, जिला :- प्रतापगढ़ (राज.)
मो.9691921612

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