शनिवार, 11 जुलाई 2020

प्रेतात्मा को रोना पड़ेगा भाग 2

प्रेतात्मा को रोना पड़ेगा
(कहानी भाग-2)
जमींदार ने थानेदार से विनम्र बनते हुए कुछ बात करने को कहा, थानेदार ने कहा कि बोलो क्या बात करना चाहते हो, उसने कहा कि थानेदार साहब आप तो हुकुम करो आपको क्या चाहिए, जो आप कहोगे आपकी सेवा में हाजिर कर देंगे । हम से मिलकर चलो मालामाल हो जाओगे, आपके इस दोस्त को भी मुँह मांगा इनाम मिल जाएगा । थानेदार ने जमींदार के गाल पर तमांचा जड़ दिया और बोला कि मैं बिकने वाला थानेदार नहीं हूँ, पत्रकार दोस्त जो अपनी डायरी में घटना का विवरण लिख रहा था, जमींदार से बोला कि तुम्हारा खेल खत्म हो गया जमींदार जी मेरे इस दोस्त की ईमानदारी को मैं बचपन से जानता हूँ, स्कूल की फुटबॉल टीम में सिलेक्शन के लिए जब खेल शिक्षक ने एक किलो घी मँगाया था तो इसने टीचर में ही चांटा मार दिया था । कल के अखबार में तुम्हारे इन काले कारनामों की खबर दुनिया पढ़ेगी । थानेदार ने जमींदार को उसके आदमियों के साथ ही लॉक अप में बंद कर दिया । थाने का हवलदार थानेदार के पास आकर बोला कि साहब ये जमींदार ज्यादा बोलता नहीं है, पर है बहुत खतरनाक, इसकी बात न मानने वाले थानेदार इस थाने में टिक नहीं पाते । इतने में फोन की घण्टी बजी, थानेदार ने फोन उठाया, उधर से आदेशात्मक स्वर में  आवाज आई, थानेदार ने जय हिंद बोलकर अभिवादन किया, फोन करने वाले ने बोला कि तुमने जिस जमींदार को पकड़ा है वो नेताजी का खास आदमी है, उस को तुरंत छोड़ दो नहीं तो हम सब मुश्किल में पड़ जाएंगे । थानेदार बोला लेकिन सर, सर उधर से आवाज आई कि मैं कुछ नहीं सुनूँगा जो कहा है वो करो और फोन कट गया । थानेदार को अपना अपमान लगा और तिलमिला उठा, गुस्से से भर गया और लॉक अप में पहुंचकर जमींदार और उसके आदमियों को लात घूंसों से मारते हुए अपना गुस्सा शांत किया । हवलदार को बुलाकर प्रकरण तैयार करने की कार्यवाही करने लगा । हवलदार ने फिर निवेदन की मुद्रा में समझाने की कोशिश की कि साहब मान जाओ, ठीक रहेगा । थानेदार ने हवलदार को डपट दिया कि मैं जो कह रहा हूँ करो ।
थोड़ी देर बाद फिर फोन आया, पूछा कि तुमने बात नहीं मानी, थानेदार बोला कि सर आप मुझे यहाँ से ट्रांसफर करा सकते हैं, लेकिन मैं जब तक यहाँ ड्यूटी पर हूँ, वही करूँगा जो कानूनी रूप से मुझे करना चाहिए । उधर से आवाज आई कि तो फिर तुम्हारी मर्जी, परिणाम भुगतने को तैयार रहो ।
कुछ ही देर बाद कुछ आदमी और एक औरत वहां आए और वो औरत  हवलदार से बोली कि थानेदार और इसके दोस्त ने रात में मेरे घर में जबरदस्ती घुसकर मेरे साथ बलात्कार किया है, मेरा पति जमींदार साहब के घर पर काम करता है और जब ये लौटा तो मैंने इसे सब बता दिया, थानेदार ने डरा दिया था कि किसी को बताया तो जेल में डाल दूँगा । उसका पति बोला कि जब मैंने जमींदार साहब को सब बताया और जमींदार साहब ने थानेदार से बात करनी चाही तो उन्हें पिस्तौल दिखाकर डरा दिया और लॉकअप में बंद कर दिया । हवलदार साहब तुम तो यहाँ सबको जानते हो, देवता जैसे गाँव के जमींदार साहब के साथ ये क्या कर रहा है, इस पापी की रिपोर्ट लिखो और इसे थाने से बाहर करो हम इसको सबक सिखाएंगे ।
कुछ लोग और इकट्ठे हो गए, पूरे गाँव में चर्चा होने लगी कि थानेदार और उसके पत्रकार दोस्त ने जमींदार के घर पर काम करने वाले आदमी की औरत को घर में अकेला पाकर बलात्कार कर दिया और जमींदार के आने पर उस पर भी झूठा केस लगा रहा है । देखते-देखते मशालें लिए हुए भीड़ थाने की तरफ बढ़ी चली आ रही थी, थानेदार ने फोन लगा कर जानकारी देने और सहायता की मांग करना चाही लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया । जमींदार का वो आदमी जिसकी पत्नी बलात्कार की घटना बता रही थी, थानेदार को पकड़ने थानेदार की तरफ बढ़ा तो थानेदार ने पिस्तौल निकालकर हवाई फायर किया, कुछ देर के लिए भीड़ तितर बितर हुई, लेकिन कुछ लोग बहुत गुस्से में थे जिनके हाथ में लाठी, फरसे और बंदूकें भी थीं । उन्होंने थानेदार की पिस्तौल छुड़ानी चाही तो थानेदार ने सामने से छुड़ाने वाले आदमी में गोली मार दी,तब तक कुछ लोगों ने पत्रकार को पकड़कर थाने के बाहर खींच लिया और लात घूंसों से मारने लगे, इधर गोली लगने पर वो आदमी छटपटाकर गिर पड़ा । इतने में एक आदमी ने थानेदार के सिर पर बंदूक की नली रख दी और पिस्तौल छुड़ा ली । पिस्तौल हाथ से छूटते ही कई लोगों ने मिलकर थानेदार को भी बाहर खींच कर लात घूंसों से मारना शुरू कर दिया, थाने के हवलदार और सिपाही एक तरफ खड़े-खड़े सब देख रहे थे, जमींदार के इशारे पर लॉकअप का ताला खोल दिया, जमींदार और उसके आदमी बाहर निकल आए । थानेदार और उसका दोस्त पत्रकार भीड़ से बुरी तरह पिट रहे थे । जमींदार ने दोनों को देखकर कुटिल मुस्कान बिखेरी, एक निगाह अपने लठैतों की तरफ डाली और इशारा समझते ही लठैतों ने दोनों के सिर पर लाठियां मार कर उनकी निर्मम हत्या कर दी । देश के कानून की रक्षा करते हुए एक ईमानदार और साहसी  थानेदार और निर्भीक कर्तव्यपरायण पत्रकार शहीद हो गए । जमींदार गाँव वालों से कह रहा था कि मैंने मना किया था शाम के बाद हवेली वाले रास्ते पर मत जाना, ये माने नहीं और उधर चले गए । प्रेतात्मा इनके अंदर घुस गई और इनसे पाप कराके इन्हें मार भी दिया ।

                                                   क्रमशः

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