#ग़ज़ल
#अवधेश_की_ ग़ज़ल
मदद मज़लूम की करना ख़ुदा का काम है यारो ।
ख़ुशी बाँटो जहाँ में तुम यही पैग़ाम है यारो ।
मुहब्बत के लिये जीना मुहब्बत के लिये मरना,
ख़ुदा से हो मुहब्बत तो, तुम्हारा नाम है यारो ।
बिना उम्मीद के मिलती, जहां हर चीज है हमको,
उसी के दर पे अब होती, सुबह से शाम है यारो ।
लगाकर अक्ल करने से, सफल सब काम होते हैं,
बिना सोचे करे जो शख़्स, वही नाकाम है यारो ।
उसे मानो उसे पूजो जहां में एक बस वो है,
मिले उससे यहां सबको, खुशी बेदाम है यारो ।
करो खिदमत अगर तुम भी, किसी लाचार रोगी की,
भुला नेकी किया जो भी, यही निष्काम है यारो ।
ग़ज़ल जो लिख रहा हूं मैं, नहीं उसका कोई सानी,
फलक अवधेश का है अब, ये चर्चा आम है यारो
अवधेश सक्सेना